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Sunday, May 21, 2017

अरुण दोहे -

अरुण दोहे -

पद के मद में चूर है, यारों उनका ब्रेन
रिश्तों में भी कर रहे, डेकोरम मेन्टेन ।।

साठ साल की उम्र तक, पद-मद देगा साथ
बिन रिश्तों के मान्यवर, खाली होंगे हाथ ।।

पद-मद नश्वर जानिए, चिरंजीव है प्यार
संग रहेगी नम्रता, अहंकार बेकार ।।

लाट गवर्नर आज हो, कल होगे तुम आम
सिर्फ एक पद "पेंशनर", फिर आएगा काम ।।

पद-पैसों के दर्प में, हमें न जायें भूल
अरुण अभी भी वक्त हैं, बदलें चंद असूल ।।

अरुण कुमार निगम
आदित्य नगर, दुर्ग (छत्तीसगढ़)