भारत बनाम इण्डिया
बाबूजी जब डैड हो गये , माता हो गई माम
पूरब में उस दौर से छाई, एक साँवली शाम
अब गुरुकुल गुरु-शिष्य कहाँ, बस कागज के अनुबंध
सर-मैडम, अंकल-आंटी में, सरसे कहाँ सुगंध
कहाँ कबड्डी, गिल्ली-डंडा, छुआ छुऔवल खेल
कहाँ अखाड़े कंदुक-क्रीड़ा, छुक-छुक करती रेल
खेल फिरंगी अब क्रिकेट का,दिखलाता है शान
समय-शक्ति का नाश कर रहा,फिर भी पाता मान
एबीसीडी सिर चढ बैठी , पश्चिम वाली डॉल
असहाय - सी अआइई , भटक रही बदहाल
गोरे - मैकाले से आहत , संस्कार हैं मौन
भारत को इण्डिया कर गया,खुद से पूछूँ कौन
अरुण कुमार निगम
आदित्य नगर, दुर्ग (छत्तीसगढ़)