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Monday, December 15, 2014

भारत बनाम इण्डिया



भारत बनाम इण्डिया

बाबूजी जब डैड हो गये , माता हो गई माम
पूरब में उस दौर से छाई,  एक साँवली शाम
अब गुरुकुल गुरु-शिष्य कहाँ, बस कागज के अनुबंध
सर-मैडम, अंकल-आंटी में, सरसे कहाँ सुगंध
 
कहाँ कबड्डी, गिल्ली-डंडा, छुआ छुऔवल खेल
कहाँ अखाड़े कंदुक-क्रीड़ा, छुक-छुक करती रेल
खेल फिरंगी अब क्रिकेट का,दिखलाता है शान
समय-शक्ति का नाश कर रहा,फिर भी पाता मान 

एबीसीडी  सिर चढ बैठी , पश्चिम वाली डॉल
असहाय - सी अआइई ,  भटक रही बदहाल
गोरे - मैकाले से आहत , संस्कार  हैं  मौन
भारत को इण्डिया कर गया,खुद से पूछूँ कौन


अरुण कुमार निगम
आदित्य नगर, दुर्ग (छत्तीसगढ़)