(१) कहाँ बदला है मौसम.............
पिसते हरदम ही रहे, मन में पाले टीस
तुझको भी मौका मिला, तू भी ले अब पीस
तू भी ले अब पीस , बना कर खा ले रोटी
हम चालों के बीच , सदा चौसर की गोटी
पूछ रहा विश्वास , कहाँ बदला है मौसम
घुन गेहूँ के साथ, रहा है पिसते हरदम ||
(२) दूर काफी है दिल्ली ........
बिल्ली है सम्मुख खड़ी , घंटी बाँधे कौन
एक अदद इस प्रश्न पर , सारे चूहे मौन
सारे चूहे मौन , घंटियाँ शंख बजाते
मजबूरी में नित्य , आरती सारे गाते
लिया सभी ने जान, दूर काफी है दिल्ली
घंटी बाँधे कौन , खड़ी सम्मुख है बिल्ली ||
अरुण कुमार निगम
आदित्य नगर, दुर्ग (छत्तीसगढ़)