सोलह
की महिमा में सोलह पंक्तियाँ
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सोलह
-सोलह
लिये गोटियाँ,खेल
चुके शतरंजी चाल
सोलह
- मई
बताने वाली ,किसने
कैसा किया कमाल
सोलह
कला सुसज्जित कान्हा ने छेड़ी
बंसी की तान
सबका
जीवन सफल बनाने,सिखलाया
गीता का ज्ञान
मानव
जीवन में पावनता ,
मर्यादा
के हैं आधार
ऋषियों
मुनियों के बतलाये,
जीवन
में सोलह संस्कार
सोलह
- सोमवार
व्रत करके , पाओ
मनचाहा भरतार
सोलह
आने जब मिल जाते,
तब
लेता रुपिया आकार
उम्र
शुरू हो सोलह की तो ,
आता
अपने आप निखार
बीत
गई तब जीवन भर के ,
साथी
हैं सोलह श्रृंगार
सोलह
चंद्र - कलायें
होतीं, तब
दुल्हन सी सजती रात
बरगद
- पीपल
हरदम कहते, सोलह
आने सच्ची बात
सोलह
- सोलह
मात्राओं की, चौपाई
मन खूब सुहाय
सोलह
– सोलह वर्णों वाली,रूप
– घनाक्षरी मन भाय
सोलह
की महिमा को गाये,दुर्ग-नगर
का अरुण कुमार
छंद
आपके मन भाया तो,
प्रकट
कीजिये मित्र विचार ||
अरुण
कुमार निगम